khas log

Saturday, 25 June 2011

लो भाईओ आप लोगो के लिए मेरी हरियाणवी मधुशाला में से शनिवार के दो पैग



पहले पैग में भर आंगली, छींटे क्यू मारो सो थम
दस ब छींटे मार दिए तो सोचो होगी कितनी कम
फेर दारू की तंगी में बेकार परेशान होवोगे
खाली अध्धे पव्वे में एक पैग न टोहोगे

होठा पे आ री हो पापड़ी अर रूह तेरी तरसती हो
बस एक पीवन के खातिर आँख तेरी बरसती हो
उस पल ने याद कर बेचैन जद पेटी की पेटी थी तेरे पे
इतने ठेका आ जावेगा फेर नाचिये बोतल धर सिर पे