khas log

Saturday 23 July 2011

सच्ची बात कहू तो मेरे दोस्तों

दोस्तों मुझे होश नहीं अब क्या सुनाऊ
कोई अफ़सोस नहीं अब क्या सुनाऊ
वो मेरा आदेश भला क्यों मानेगी
मैं उसका बॉस नही अब क्या सुनाऊ
सच्ची बात कहू तो मेरे दोस्तों
मन में जोश नहीं अब क्या सुनाऊ
ताकत की मुझसे उम्मीद रखने वालो
रिश्ते में सफेदपोश नहीं अब क्या सुनाऊ
मैं तो बेचैन हूँ सदा चैन को तरसता हूँ
इसमें मेरा दोष नही अब क्या सुनाऊ

मैं उसका बॉस नही अब क्या सुनाऊ

दोस्तों मुझे होश नहीं अब क्या सुनाऊ
कोई अफ़सोस नहीं अब क्या सुनाऊ
वो मेरा आदेश भला क्यों मानेगी
मैं उसका बॉस नही अब क्या सुनाऊ
सच्ची बात कहू तो मेरे दोस्तों
मन में जोश नहीं अब क्या सुनाऊ
ताकत की मुझसे उम्मीद रखने वालो
रिश्ते में सफेदपोश नहीं अब क्या सुनाऊ
मैं तो बेचैन हूँ सदा चैन को तरसता हूँ
इसमें मेरा दोष नही अब क्या सुनाऊ

पीकर शराब आज एक गजल लिखी है

पीकर शराब आज एक गजल लिखी है
मैंने खराब आज एक गजल लिखी है
जाने क्या गुजरेगी बागवां पर यारो
तोड़, गुलाब आज एक गजल लिखी है
आसमा के चाँद को रखकर के आँखों में
जमी के, महताब आज एक गजल लिखी है
गर बुरा न मानो तो तुमको लेकर मैंने
मेरे जनाब आज एक गजल लिखी है
वो बेचैन को कभी तो चैन देगी ही
लेकर ख्वाब आज एक गजल लिखी है