khas log

Wednesday, 16 December 2015

तू ओरां के कल्चर पै क्यूँ लार टपका रह्या सै

ब्योंत पाच्छे भी जो कोए हवा में आ रह्या सै
मतलब वो माँ बोली का मखोल उड़ा रह्या सै

मांगेराम लख्मीचंद की कलाकारी झुठलाके
सुसरे क्यूँ पंजाब की झूठी पत्तल खा रह्या सै

अंग्रेजी में रेप का मतलब होवे सै बलात्कार
अर फेर भी तू खुद नै रेप सिंगर बता रह्या सै

हरियाणवी का भी हिस्सा सै चाँद के प्लाटा पै
तू ओरां के कल्चर पै क्यूँ लार टपका रह्या सै

रै रामफल आले छोरे इब तो बाज़ आज्या तू
क्यूँ खुद नै हन्नी सिंह का जाम बता रह्या सै

सौ रपिया में सौ एमबी का रिचार्ज करवाके
क्यूँ कुनबे की इज़्ज़त एफबी पै उड़ा रह्या सै

सुरताल का बेरा नही अर बड़ग्या स्टूडियो में
बता उल्लू के पट्ठे तू किस राग में गा रह्या सै

तू लिख के नै दो चार गंदे गीत रै नासमझ
जवान होती बाहण बेटियां नै भटका रह्या सै

तपस्या अर साधना का नाम सै कलाकारी
टैम पास करणियां नै बेचैन समझा रह्या सै 

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