khas log

Wednesday 4 July 2012

देख लिए मेरे घर के तू एक दिन चक्कर काटेगी



जा कौण सी बिन तेरे ,माहरी भैंस दूध नै नाटेगी
तू पीछा छोड़ देवेगी तो माँ मेरी प्रसाद बाटेंगी

मेरे बरगा शरीफ गाबरू तैंने कही भी ना मिलेगा
देख लिए मेरे घर के तू एक दिन चक्कर काटेगी

तैने नही उस घड़ी नै रोऊ सूं, जद इकरार होया
ना मालूम था छाती मेरी न्यू बीच में तै पाटेगी

बेबसी की धरती पे एक दिन पानी फूटके निकलेगा
बता कितने दिन तू आंसुआ नै निकलन तै डाटेगी

सबने बेचैन ना लगाइए इस रंग बदलती दुनिया में
जा मैं देखूँगा किसकी धडकन तेरे तलवे चाटेगी

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