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Friday 1 July 2011

माहरी बोली


जिसमे स दम माहरी बोली सीख के दिखा दयो
अर सीख्या पाछे  हरियाणवी त छीक क दिखा दयो
इस बोली के रंग कई स, कहन के इसके ढंग कई स
कम्बल के बाल न लफूसडा कह दयां,
जुत्या न हम खोसडा कह दयां
नुक्सान होवे तो याता कह दयां
शादी-शुदा न ब्याहता कह दयां
सास न हम साहसु कह दयां
आच्छे मानस न धांसू कह दयां
अर ख़त न कह दयां, चिठ्ठी- चाठी,
धून का पक्का कुहावे ठाठी
माहरी बोली माहरी स, सब बोलिया त न्यारी स
सबका तोड़ मिल जावेगा,, सौ का जोड़ मिल जावेगा
पर माहरी बोली धाकड़ स, या तो सिक्या पापड़ स
कोए इस पापड़ सा सीक के दिखा दयो..............जिसमे स दम...............
केले को हम केल्ला कह दयां,
मेले को हम मेल्ला कह दयां
छोरी न हम टिंगरी कह दयां
छेड़खानी न टिगली कह दयां
किते काम बिगड़े तो मठ मर ज्यां स
माहरी बोली त लठ गढ़ ज्या स
पैसे न हम पिस्सा कह दयां
आनंद न हम जीस्सा कह दयां
अर कह दयां बीडी-बाड़ी हम
दोस्त न कह दयां याडी हम
माहरी बोली माहरी स, सब बोलिया त न्यारी स
सबके बस की ना स या
कोरी धसकी ना स या
इसका व्याकरण टेढ़ा स
इसने समझनिया ढेठा स
इसके सारे बोल कोए लिख के दिखा दयो........जिसमे स दम........
जो ना कतरावे डाकी कह दयां
खिड़की न हम ताकी कह दयां
टेढ़े न हम झोल कह दयां
थप्पड़ न हम धोल कह दयां
कालिये न हम भुंडा कह दयां
गंजे न हम रुंडा कह दयां
ह्म्भे माहरी हाँ होवे स
अह माहरी ना होवे स
महरा कहना माहरा स
कडवा पानी खारा स
माहरी धोती क भी लांगड होवे
लठ लेरे तो बांगड़ होवे
सबके बसकी ना स या
कोरी धसकी ना स या
कोए इसके आगे टिक के दिखा दयो......जिसमे स दम

लो भाई आज की दारुशाला अर दीवाने की दीवानगी देखो १

थम मेरी चिता प दारू खिंडाइओ घी ना कति बर्बाद करियो
मन्ने सिर्फ पियक्कड़ कंधा देवे, मेरे बाद यो वचन याद करियो
घर वाले गर श्राद करे, तो सब श्राद मेरा न्यू करियो
गाम के सारे पीवनिया क घर न बोतल जा धरियो

पुजारी भूल ज्या मंदिर जाना, भगत भूल ज्या धुप जलाना
मस्जिद में भी किसे कारण नमाज़ पढ़ी जा धिंगताना
पर कदे शराबी ठेके की सैर करना ना भूले
बेशक उसके घर न कोए,.उस दिन फांसी पे झूले