khas log

Sunday, 15 January 2012

मुस्कुराके बोलण का तू खूब ए फायदा लेरी सै


इन दिनां तू प्यार कम मेरे स्वाद ज्यादा लेरी सै
जाणग्या बस खाट खड़ी करण का इरादा लेरी सै

मेरे भीतर का शक तेरे त बार बार न्यू पूछे स
किसके साथ मेरा धुम्मा ठावण का वादा लेरी सै

अपणा कसूर सर पै मेरे जद चाहवे धर दे सै
मुस्कुराके बोलण का तू खूब ए फायदा लेरी सै

क्दे क्दे तो तू महबूबा त मेरी माँ बणज्या सै
समझ नही पा रहया सू यो के इरादा लेरी सै

सबके बसकी ना होवे सै किसे की याद में रोणा
जाणे सै बेचैन तू आँख में जिसा कादा लेरी सै