khas log

Tuesday 26 July 2011

क्वांरे भाई ओ की और से शादी के मामले में एक हरियाणवी शर्त जो मेरे बाबु की धोती धोवे ,, उसते ब्याह करूंगा


जो स्यानी काटती ना रोवे,, उसते ब्याह करूंगा
जो बाजरे की रोटी पावे,, उसते ब्याह करूंगा
जींस पहरन आल्ली त, मैंने सख्त अलर्जी स
जो सूट पहर के दिल न मोहवे,, उसते ब्याह करूंगा
वा धोवण में तो धो देगी, मेरे कपड़े फेर भी भाईओ
जो मेरे बाबु की धोती धोवे ,, उसते ब्याह करूंगा
सर पे चढ्गी तो थप्पड़ मार-मार उतारूंगा
जो पिटा-छित्या ना रोवे ,, उसते ब्याह करूंगा
घरवाली की डांट में भी प्यार छुप्या बेचैन
जो सही बात पे गुस्सा होवे ,, उसते ब्याह करूंगा

अहसास ने माना तो बन गया रिश्ता

जवानी का समन्दर पार नहीं होता
आदमी को जब तक प्यार नहीं होता
पूछ लीजिये बेशक किसी से जाकर
जिंदगी का कोई एतबार नहीं होता
इश्क नहीं इसको हम बहम कहेंगे
रु-ब-रु जब तक इकरार नही होता
अहसास ने माना तो बन गया रिश्ता
रिश्तो का वरना कोई आकार नहीं होता
रिन्द जिसे कहते हो रोजाना पीता है
हफ्तों में पीने वाला मयख्वार नही होता
इश्क से परहेज़ करने वालो याद रखना
बिना दिल दिए खुदा का दीदार नही होता
बात दिल की छुपानी जायज़ है बेचैन
पर्दा करने से इंसां शर्मसार नही होता