khas log

Tuesday, 26 July 2011

अहसास ने माना तो बन गया रिश्ता

जवानी का समन्दर पार नहीं होता
आदमी को जब तक प्यार नहीं होता
पूछ लीजिये बेशक किसी से जाकर
जिंदगी का कोई एतबार नहीं होता
इश्क नहीं इसको हम बहम कहेंगे
रु-ब-रु जब तक इकरार नही होता
अहसास ने माना तो बन गया रिश्ता
रिश्तो का वरना कोई आकार नहीं होता
रिन्द जिसे कहते हो रोजाना पीता है
हफ्तों में पीने वाला मयख्वार नही होता
इश्क से परहेज़ करने वालो याद रखना
बिना दिल दिए खुदा का दीदार नही होता
बात दिल की छुपानी जायज़ है बेचैन
पर्दा करने से इंसां शर्मसार नही होता



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