khas log

Saturday 16 July 2011

पेश है बेरोज़रो के मन की बात

र नौकरी तेरे बिना तो डिग्री बराबाट होरी स
र कित सोवां, माहरी तो खड़ी खाट होरी स

होरया बिस्तर गोल देश में बेरोजगार भाईआ का
छोड़ी छाती छः फुट के, पर दिल रह रह्य स पाईया का
के कर लेवे तेरे रंज में देई त गिर रे स
अर हाय नौकरी हाय करते करते फिर रे स
के बेरा त सत्यानासन कितना और सतावेगी
बूढ़े होंगे धोले आगे कद तए तू ना थ्यावेगी
पढ़ते आणी सोची थी तैने आसानी त पाल्यंगे
दसमी करया पाछे तैने किते त भी ठाल्यांगे
पर फार्म भर-भर के न हम तो सारी दुनिया घूम आयें
हाय नौकरी तेरा ठिकाना किते भी ना टोह पाए
तेरे बिना तो जीना माहरा नर्क होरया स
भरी जवानी के म बेडा गर्क होरया स
अर तेरे बिना तो ब्याह शादी में आंट होरी स ----------र नौकरी तेरे बिना ..............
उम्र तीस की दिखे पचपन बिना नौकरी के यारो
जवानी त आछ्या लागे बचपन बिना नौकरी के यारो
अर बिना नौकरी रे-रे- माटी इसी होज्या स
जणु भरे रेत के आंगन में कोए सुई खोज्या स
अर होज्या स बर्बाद बुढ़ापा छोरे की हालत देख के
वो सिर पे कुण्डी ठाले स जद डिग्री-डागरी फेंक के
र बेकारी का इसते बड़ा कोए और उदाहरन के बतावे
बी ए ऍम ए पास छोरे  आज देश में औटो चलावे
के कर लेवां तेरा नौकरी तेरी न्यारी श्यान स
बेकारी के मन्दिर में तू ए तो भगवान स
तू ए इब आबाद करेगी, तू ए देवेगी जिस्सा
तू ए दूर करे बेकारी, तू ए देवेगी पिस्सा
अर तू स जिसके धोरे जिंदगी ठाठ होरी स  ----------र नौकरी तेरे बिना ..............
खदरधारी के आंगन में तू गंगा बनके बहवे स
जाणा सां तू रिस्पतपुर के सिफारिस नगर में रहवे स
अर शक्ल में जिनके बारा बजरे, बोलन की तमीज़ कोन्या
कई इसे नौकरी कर रे स जो इंसानियत के बीज कोन्या
पांच मिनट के काम में दस-दस घंटे ला दे स
बाप की जागीर समझ के कुर्सी देश का धुम्मा ठा दे स
एक त मिलरी स उन न नौकरी, ना तो दिखे दिन में तारे
बेकारा की भीड़ में वे भी पावे किते तेरे मारे
बेकारी के दर्द का उनके दिल में जद अहसास होवे
तेरे कारण जगह-जगह पे उनका भी उपहास होवे
बेचैन नौकरी कईया न तो आज पकोड़े चाट होरी स  ----------र नौकरी तेरे बिना ..............