नौजवानों सोच लो थम अपने टाबरा न
मरके विरासत में के देके जाओगे
झूठ चोरी जारी और फरेब की चासनी में
कौन से संस्कार भे के जाओगे
दे रहे हो जिस तरह धोखा माँ बाप को
खुद संग यही क्या इतिहास दोहराओगे
वक्त है अभी भी सम्भल जाओ दोस्तों
वरना पीढियों का जुगाड़ क्र जाओगे
मरके विरासत में के देके जाओगे
झूठ चोरी जारी और फरेब की चासनी में
कौन से संस्कार भे के जाओगे
दे रहे हो जिस तरह धोखा माँ बाप को
खुद संग यही क्या इतिहास दोहराओगे
वक्त है अभी भी सम्भल जाओ दोस्तों
वरना पीढियों का जुगाड़ क्र जाओगे
2 comments:
बहुत घनी सुथरी कविता लिखी स परधान जी.....आशा करू हु के आप इक्कर ही लिखदे रहोगे आर म्हारा मार्गदर्शन करोगे.....जय भारत, जय हरियाणा......!!!!
बहुत घनी सुथरी कविता लिखी स परधन जी...आशा करू हु के आप इक्कर ही सुथरी सुथरी कविता लिखदे रहवोगे आर म्हारा मार्गदर्शन करदे रहवोगे.....जय भारत, जय हरियाणा....!!!!!
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