khas log

Monday 25 July 2011

साँझ ढलते ही ख्वाब आने नहीं

अंगूर की बेटी के जो दीवाने नहीं
वो लोग महफ़िल में बुलाने नहीं
कल टूटते है तो आज ही टूट जाएँ
दोस्तों हमें झूठे रिश्ते निभाने नहीं
बिना पानी के जाम पीना पड़ेगा
यहाँ पर चलेंगे कोई बहाने नहीं
आने है जिसके आधी रात आयेगे
साँझ ढलते ही ख्वाब आने नहीं
अभी कल की ही तो बात है दोस्त
जख्म महोब्बत के पुराने नहीं
कोई तो बताये बेचैन जिसके
नसीब में इश्क के फसाने नहीं

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