khas log

Saturday 23 July 2011

सच्ची बात कहू तो मेरे दोस्तों

दोस्तों मुझे होश नहीं अब क्या सुनाऊ
कोई अफ़सोस नहीं अब क्या सुनाऊ
वो मेरा आदेश भला क्यों मानेगी
मैं उसका बॉस नही अब क्या सुनाऊ
सच्ची बात कहू तो मेरे दोस्तों
मन में जोश नहीं अब क्या सुनाऊ
ताकत की मुझसे उम्मीद रखने वालो
रिश्ते में सफेदपोश नहीं अब क्या सुनाऊ
मैं तो बेचैन हूँ सदा चैन को तरसता हूँ
इसमें मेरा दोष नही अब क्या सुनाऊ

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