khas log

Monday 27 June 2011

मैं जद भी गया रेस्टोरेंट

मैं जद भी गया रेस्टोरेंट बिल उसने दिया
ऑटो का आया जो भी रेंट बिल उसने दिया
वा सैन्डल लेवण गई तो मुझे बूट दुवा ल्याई
खरीदी मैंने जो भी पैंट बिल उसने दिया
कपडे प्रेस करान की भी दुकान बता राखी थी
छः महीन्या तक परमानेंट बिल उसने दिया
जो भी चीज़ पसंद आई यारां न गिफ्ट सेंटर म्ह
पंजी तक का सैंट परसेंट बिल उसने दिया
बेचैन बरगा प्यार भगवान दुश्मन न भी दे
कपड्या प छिडक्या जो भी सैंट बिल उसने दिया

No comments: