khas log

Friday 8 July 2011

लो भाईओ हरियाणवी बोली की वा विशेषता जो जन्मजात हो स, या विशेषता उरे रहण त नहीं बल्कि जन्म घुट्टी में पीण त आवे स डबलिंग बोली हरियाणे की........

डबलिंग हरियाणे की सबते न्यारी स
जिसने आगि बोलनी वो सबपे भारी स
चाय- चूए, लास्सी- लुस्सी दूध-दाद देखो
चूल्हा-चाल्हा,रोटी-राटी, एक आध देखो
भैंस-भूंस,गाय- गुए, डांगर-डूंगर देखो
खोर-खार, नौरा- नारा, टींगर-टुंगर देखो
माणस-मुनस, खाना- खुणा. खाया-खुई करते
बूढी-बाढ़ी, लुगाई-पताई, वांर राइ रुई धरते
छोरे-छारे, छोरी-छ्पारी, जद भाभी-भुभी बोल्ले
मां-मू ,भाई-भुई ना बोलते आंनी तोल्ले
सुट-साट, पैंट-पुन्ट लुंगी-लांगी देखो
धोती-धाती, कुरता-कारता,गूंगी-गांगी देखो
अर हरियाणवी बोल्ल्निया संस्कृति का पुजारी स....डबलिंग हरियाणे की................
रिश्ते-राष्त्या का उरे जब जिक्र-जुकर चाल्ले
सुनके दुनिया का कालजा दो हाथ हाल्ले
ताई-तुई, काकी-कुकी,दादा-दुदा देखो
दादी-दूदी, भुवा-भावा, चाची - चूची देखो
बेबे-बाबे, जीजा-जाजा, बेटा-बाटा देखो
कहावता में आके फसरया, बिरला टाटा देखो
अर देखो कहण आल्ले क्यूकर भ्यानी-भुन्नी बोल्ले
बाल्टी-बुलटी,कुवां-कावां, पाणी-पूणी बोल्ले
खेत क्यार, नहर-नाहर, गेहूं-गांहू देखो
सब हरियाणे में घूम के अच्छी दाऊ देखो
पाओगे उरे भाईचारे की खेती क्यारी स.........डबलिंग हरियाणे की................
अफसर- उफसर, डाक्टर-दुकटर नर्स-नुर्स देखो
डिग्री-डागरी, पढ़ना-पुढ्ना, कोर्स- कुर्स   देखो
मास्टर-मुस्टर, मैडम-माडम, स्कूल- स्काल  देखो
हर शब्द की प्याज़ ज्यू  उतरती खाल देखो
देखो क्यूकर ब्याह-ब्यूह में नाचा- नुची  होरी
कूद-कूद के छड़े आंगन, के छोरा के छोरी
मंत्री मुन्त्री, एसपी-उस्पी, डीसी-डासी सारे
माहरी बोली, बोल बाल के चोगरदू के छारे
रामदेव के नुक्ते--नाकते दुनिया भर में देखो
हाज़िर जवाबी के मास्टर हरेक  घर में देखो
अर देखो चुटकलों की धरती मुस्कुरा री स.......डबलिंग बोली हरियाणे की ...........

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