khas log

Sunday 30 October 2011

ना दिखाईयो कदे ज़ात चौधरी बणन खातर

ध्यान में राखों बात चौधरी बणन खातर
होणी चाहिए औकात चौधरी बणन खातर

घर की गाडी ना समझों, दहेज़ आल्ली कार
अपना जुगाड़ जगन्नाथ चौधरी बणन खातर
विरासत में तो बाप मैन्ने दुनिया देग्या था
 न्यारी करूं सूं खुबात चौधरी बणन खातर
किराये के माणस कत्ति धापके नकली हो स
घर का ए चाहिए गात चौधरी बणन खातर
जो अपणे दम प जिंदा स उनते पूछ क देख
कितने लगाये दिन रात चौधरी बणन खातर
मेहनत पर विश्वास करो सब ठीक होज्यागा
ना दिखाईयो कदे ज़ात चौधरी बणन खातर

बस टांग खिंच के कदे ना उपर चढ़ीये बेचैन
उच्चे राखियें ख्यालात चौधरी बणन खातर

3 comments:

KMM said...

Supar

Ghazalguru.blogspot.com said...

बहुत उम्दा गजल है बेचैन भाई.....
शुभकामनाये स्वीकारें.....
न्यू ए चाहवां सां या कलम चलदी रहवे....
रुकै नहीं दिन-रात, चौधरी बणन खात्तर......

Anonymous said...

कमेन्ट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद