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Wednesday 2 November 2011

माणस के स तू

 खूब तरक्की कर ली, फेर भी जूतम पैजार माणस के स तू
सब लूटके खाग्या फेर भी रहग्या भूखा यार माणस के स तू

कहवे वंशज़ माहरे देवता थे, पर तू कित त आया
कित त झूठ चोरी जारी और मक्कारी न ल्याया
सोच-सोच के पागल होग्या मैं तो सौ-सौ बार माणस के स तू
सब लूट के खाग्या.................

जित फायदा नजर आवे ,वहां जात दिखा दे स
वक्त पड़ण पै गधे न भी क्यूं बाप बणा ले स
नकली दंगल बोल्ले स तैने क्यूं तेरे रिश्तेदार माणस के स तू
सब लूट के खाग्या.................

कहवे आदमी खुद न और ढंग डांगरा आल्ले
ना भर पाया पेट छोटा सा तू उम्र भर साल्ले
उसकी खाट खड़ी कर दे ,जो तेरे पै करे उपकार माणस के स तू
सब लूट के खाग्या.................

जुबान इतनी मीठी बणाली गुड भी शर्मावे
आस औलाद और सू राम की बिन सोचे खावे
दान धर्म और दया का झूठा बण रह्या ठेकेदार माणस के स तू 
सब लूट के खाग्या.................

लोभ हवस के बाळ पलक त क्यूं नही पड़वाता
खूबसूरत बाहण छोड़ क्यूं दिल और पै ल्याता
हर वक्त रहवे बेचैन और बोल्ले खुद न समझदार माणस के स तू
सब लूट के खाग्या.................

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