khas log

Wednesday 14 March 2012

इन दिनों लुगाई नाराज चाल री सै

इन दिनों लुगाई नाराज चाल री सै
बेरा नै उसके कित खाज चाल री सै

पहल्या तो देख लिया करती मुस्कुराके
आजकाल गुस्से में बेल्याज़ चाल री सै

वा न्यू लिकाडै सै बात के कई मतलब
बोली नजर थारी दगाबाज़ चाल री सै

इलाज़ तो मन्ने भी कुछ करना पड़ेगा
वा ज्यादा ए खाके अनाज चाल री सै

कसूर कोन्या उसकी सोच में बेचैन
पतियों की फौज दगाबाज़ चाल री सै 

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