khas log

Monday 23 April 2012

ठीक सै तो मैं भी तम्नै गिलास मैं थूके बिना पांणी प्याय करूँगा.

एक चौधरी को चपरासी की नौकरी मिल गयी. उसके दफ्तर वाले उसको देहाती समझ के अच्छा सलूक नहीं करते थे, एक दिन उन्होंने अपनी गलती का एहसास किया और उसको कहने लगे—सुन भाई चौधरी हम आगे तै तेरे साथ अच्छा वर्तावा करैंगे. चौधरी बोला—ठीक सै तो मैं भी तम्नै गिलास मैं थूके बिना पांणी प्याय करूँगा.

No comments: