khas log

Sunday 26 June 2011

ल्यो भाई ओ संडे के लिए मेरी हरियाणवी मधुशाला से आपके लिए आज के दो पैग



आधी पीज्या हवा दारू, आधी मेरे थ्यावे स
सोचो एक पव्वे में आखिर कितनी आवे स
गरीब आदमी का पीना भी, के पीना स भाईओ
दो चार बोतल देके मैंने थोडा पुन्य कमाइओ

पैग त पैग भिड़ते टेम एक मीठी सी आवाज़ लिकड़े
नया नया पीवन आल्या उस आवाज़ के साथ बिगड़े
फेर अनपढ़ भी ज्ञान की खूब बात करण लागे
दारू पीवन बाद मानस संसारिक नींद त जागे

No comments: