khas log

Monday 27 June 2011

ल्यो भाईओ मेरी हरियाणवी मधुशाला से आप लोगो के आज के दो पैग

 
गम के घुट पी पी के सारा स्वाद बिगड़ लिया इब रोको मत ना मैं दारू पीवन लिकड लिया मुश्किल हिम्मत करके साहस जुटाया भाईओ
...
बुझा देवे प्यास दिल की कोए जा ठेके समझाइओ
बस दारू दारू रटता चल , कदे फसेगा ना मझधार दो घुट गले उतरया बाद हो जावेगा बेडा पार सब रोगा की एक दवाई ठेके भीतर रहवे तेरे पाप धो देवेगी बोतल जिसमे गंगा बहवे

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