khas log

Monday 4 July 2011

भाई ओ हरियाणे में आदमी के नाम का कसूता मामला स,,जो नाम स उसके अर्थ त कोसो दूर पावेगा,,, एक भाई रात के टेम गली के कोने पर खड़ा था मैं उसते पूछ बैठा के नाम स तेरा,, बोल्या -शेर सिंह, मैं बोल्या--फेर उरे क्यों खड़ा स,, सुनके बोल्या- आगे कुते लड़न लाग रे स ......न्यू इ आदमी अर औरत के पुराने नाम न लेके एक प्रयोग करया स,,पहल्या आल्ले नाम,,,अपने विचार जरुर बताई ओ ,,,

ज्ञानी सूबे रामफल सवाई होया करते
पहल्या आल्ले नाम भी हाई होया करते
और हर नाम क पीछे एक कारण होया करता
गाम राम के खातर जो उदाहरन होया करता
धोरे जिसके धेला कोन्या,, नाम किरोड़ी पाता
किताब सिंह भी उन दिना कदे स्कूल नहीं जाता
बड़े भाई क लट्ठ मरता.. लछमन सिंह आवारा
शक्ल में जिसके बारा बजरे, कहते उसने प्यारा
हाथी बरगी देई ले रह्य ,, नाम माडा राम
सही राम के पाया करते सदा ए गलत काम
जिंदगी भर दुःख पाए सुखिया अर खुसीराम
कुते त डर जावे था, शेरा जिसका नाम
अर दोनु हाथा दान करे, ताऊ मांगे राम
आये गये का मान करे,, झगडू जिसका नाम
सच नाम के विपरीत पह्ल्ड़े लोग लुगाई होया करते.....ज्ञानी सूबे रामफल .............
बात कहके मुकरा नहीं कदे भी बदलू राम
गोबर में त दाणे चुग ले ये धर्मे के काम
भुंडू मल भी नहाया धोया बचपन त ए रहया
चाँद राम न गर्मी का प्रकोप खूब सह्या
पूर्ण सिंह का कोये काम भी कदे न पूरा पाया
दान सिंह न सारी उम्र मांग-मांग के खाया
बात- बात पे गुस्सा होज्या मौसा ठंडी राम
नकली राम के पाया करते सदा ए असली काम
राम नाम कदे लिया नहीं अर नाम बजरंग लाल
भोला राम तारया करदा सदा बाल की खाल
गाम त न्यारा धन ले रह्य अर नाम फकीर चंद
सुंदर मल न अपने घर में राख्या सदा ए गंद
भरतु, गंगू अर इसे ए गुसाई होया करते ,,,, पहल्या आल्ले नाम भी ................

बात लुगाइया की चले तो वा भी सुन ल्यो थम
नाम काम के मामले में ये भी नहीं थी कम
केल्ला, अंगूरी, संतरा न कदे फ्रूट नहीं खाए
मिसरी, मेवा, इमरती न सदा ए चने चबाये
तवे त भी काली पाती भूरी अर सुनहरी
चलती देवी पड़ोसिया क दस-दस घंटे ठहरी
कदे खजानी दादी न भी पंजी तक ना जोड़ी
गोबर थापन में माहिर थी बसंती अर गिन्दोड़ी
अर छत  पे त उतरा ना जा, नाम चाँद तारी
मौसी नान्ही देवी न भी देई राखी भारी
मरिया देवी सौ साल त ऊपर जिया करती
ताई शरबती शरबत नहीं लास्सी पिया करती
बर्फी, पतासो और इसे ए नाम मलाई होया करते े ,,,, पहल्या आल्ले नाम भी ................
जिंदगी घर रही क्वारी गाम की भुवा बन्नो
पंजी- पंजी न तरसी सदा ए मौसी धन्नो
और मन्दिर में कदे गई माहरी काकी रामप्यारी
सुख देई न पाली राखी सदा ए नै बीमारी
चौखट त भी ऊंची फेर भी नाम पता छोटी
छिपकली सी होती जिसने सारे कहते मोटी
चम्पा और चमेली न भी कदे बाग़ नहीं देखे
ताई शांति जुत बजान के लिया करती ठेके
कदे खाण त ना छिकी धापा जिसका नाम
दयावंती पिटया करती लगभग सारा गाम
मीरा अर कृष्णा न भी कदे भजन नहीं गाये
रौशनी न दिन अपने अँधेरे में ए बिताये
सच नाम के विपरीत पह्ल्ड़े लोग-लुगाई होया करते,,,,,,,,,े ,,,, पहल्या आल्ले नाम भी ................

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