khas log

Thursday 7 July 2011

लो भाईओ कविता न ध्यान त पढो अर बताओ के नौजवानों के मन की बात को कहने में किस हद तक सफल हुआ हूँ बापू समझया कर

बापू समझया कर, इब मैं छोटू कोन्या रहया
भूख त ज्यादा खाया करता वो मोटू कोन्या रहया
बीस साल त ऊपर मेरी उम्र  हो ली स
ध्यान त देख मैंने अपनी जिंदगी संजो ली स
तेरे पैर की जुती मेरे छोटी आवे स
बापू,, तू मैंने फेर भी बालक बतावे स
मेरा सारा मुह ढाढ़ी का भरा स
पूरा आदमी लागु सु ,, के होया जै बदन छरहरा स
विश्वास कर बापू, मैं गलत संगत में कोन्या बैठता
अर इब तो,, बात-बात प भी कोन्या एठता
गौर त देख,,मैं बड़ा होग्या सूं
अपने पैरा पर खड़ा होग्या सूं
भले बुरे की मैंने सारी समझ आवे स
अर बापू, तू मैंने फेर भी बालक बतावे स
मेरी चिंता करनी छोड़ दयो
अपनी देई का ध्यान धरो,
शरीर बुढा हो लिया स, ना खुद न परेशान करो
थारे नाम न बदनाम नहीं करूंगा
कदे नीची देखनी पड़े, इस्सा कोए काम नहीं करूंगा
थारे टेम अर माहरे टेम में दिन रात का फर्क स
वो टेम स्वर्ग था तो यो टेम एकदम नर्क स
फेर भी इस नर्क में मैं पूरा नहीं धसूंगा
थम घबराओ मत ,, क्याये में नहीं फसूँगा 
अर बापू,,,
तू भी तो कदे जवान था
कालिज अर बाहर दोस्त की शान था
अर बापू या बात तू ए तो कह्य करे स
के, जवानी आदमी के बचपन न हरे स
तो बापू, बचपन मेरा भी हरया गया
कदम जवानी का धरया गया
इब त ए बता इसमें मेरा के कसूर स
वो बचपन ए मेरे त दूर स
अर तू मैंने फेर भी बालक कहवे स
न्यू बता,, कदे उलटी गंगा भी बहवे स
अर जवानी के दर्द त तू अनजान नहीं स
माहरे टेम में फेर भी दर्द की लिस्ट नई स
सबते ऊपर बेरोज़गारी का दर्द
फेर तान्या की आरी का दर्द
अर बापू,, दर्द महोब्बत का के कम स
जिसका होना भी अर ना होना भी गम स
आर बापू मेरी हिम्मत तो देख
मैं फेर भी जीवन लाग रहया सुं
इतने सारे दर्दा न एकला ए पीवन लाग रहया सुं
इतना सब कुछ सहके भी मेरे आंसू नहीं आवे  स
आर बापू ,, त मैंने फेर भी बालक बतावे स
याद कर बापू,,  जद तू रोज़ उंवारी आया करता
अर मेरा दादा तैने आती ए धमकाया करता
उन दिना तेरे के मन में आया करती
साचली बताइए, भीड़ी पड़े थी न उन दिना धरती
फेर आज क्यों मेरी गैल दबान लाग रे सो
मैं सब समझू सू, जिसे बाता के गोले दाग रे सो
थारी नजर में मैं गलत सू , तो यो घर बार छोड़ दयूंगा
कोन्या चाहिए दौलत माँ का भी प्यार छोड़ दयूंगा
थारी मेहरबानी त आज इतना बड़ा होग्या सू
खुद का तो पेट भर ए ल्यूँगा, पैरा प खड़ा होग्या सू
मैं तो चला जाऊंगा, पर मेरी माँ का जी क्यूकर लागेगा
उसका तो कालजा मेरे बिना बेचैन होके भागेगा
पर बापू थारे एक दिन समझ में आवेगी
जद या थमने दुनिया बतावेगी
अक खुशीराम छोरा तो तेरा नेक था
तू ए गलत स,, वो तो लाखां में एक था
अर भगवान ना करे बापू,, उस दिन देर हो जावे
थारी निगाह का यूं बालक, किते भीड़ में खो जावे
वक्त स इब भी सम्भल ज्या बापू,,,
बदलते होए टेम में ढल ज्या बापू
नहीं तो बात मेरे हाथा त लिकड जावेगी
फेर या दुनिया थमने बालक बतावेगी.......
फेर या दुनिया थमने बालक बतावेगी.......फेर या दुनिया थमने बालक बतावेगी.......फेर या दुनिया थमने बालक बतावेगी.......फेर या दुनिया थमने बालक बतावेगी.......फेर या दुनिया थमने बालक बतावेगी.......फेर या दुनिया थमने बालक बतावेगी.......फेर या दुनिया थमने बालक बतावेगी.......

2 comments:

jaideep punia said...

bahut , bahut achhi bhai. bus ji khad ke dhar diya...........

jaideep punia said...

bahut achhi tariya samjhya babu ko ib to sabke babuo ko samjh jana chahiye