khas log

Friday, 22 July 2011

तेरी जुल्फ और मेरा ख्याल न सुलझेंगे

जद कदे भी तैने मेरी याद सतावेगी
राम कसम तैने नींद ना आवेगी

तेरी जुल्फ और मेरा ख्याल न सुलझेंगे
जितनी करेगी कोशिश उतने ही उलझेंगे
मन की हिरनी जितना ए तेज़ भगावेगी............राम कसम,,,,,,,,,

दर्द जुदाई का कुछ इस तरह मिटाउ सूँ
तेरे हिस्से का टेम एकला बिताउ सूँ
बाट में सूँ तू कदे आंसुआ त नहावेगी .........राम कसम तू .............

किसका था कसूर तैने हाल सारा बेरा था
रौशनी में कौन नहाया किसके घर अँधेरा था
किसके आगे बात तू साच्च्ली बतावेगी .........राम कसम

No comments: