khas log

Wednesday 27 July 2011

लागे स हालात पे लिखणा पड़ेगा


दिन अर रात पे लिखणा पड़ेगा
लागे स हालात पे लिखणा पड़ेगा
नश्तर सी चुभे स, कडवी बोली
अपन्या के वाक्यात पे लिखणा पड़ेगा
लिकड़ आवे शायद राह कोए न कोए
उस दिन की मुलाकात पे लिखणा पड़ेगा
बदले स बैरी गिरगिट की ज्यूँ रंग
रिश्त्या की करामात पे लिखणा पड़ेगा
ले जावे स बहाके बेचैन जिंदगी न
आंसुआ की बरसात पे लिखणा पड़ेगा

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