khas log

Sunday 9 October 2011

बाप बेटे की जब त बिगड़ी



न्यू तो टाइम पास हो रह्या स
पर थोड़ा सा नाश हो रह्या स
दोस्त शक के घेरे में आग्या
दुश्मन कुछ ख़ास हो रह्या स
नई रिश्तेदारी टूटेगी शायद 
कसूता ए मिठास हो रह्या स  
बाप बेटे की जब त बिगड़ी
परम्पर त बनवास हो रह्य स
लवर की नही खा मां की सूं
तेरे प कम विश्वास हो रह्य स
अनजान हादसा सोचके बेचैन
थोडा सा मन उदास हो रह्या स

1 comment:

Dr vedparkash sheoran said...

टाइम पास कोन्या तू ठीक कह रहया सै
बेटे तै बिगड़ी तो बाप धौर के रह जया सै