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Saturday 28 April 2012

जब म्हारी छोरी ऐ इसकी शक्ल देख कै राजी कोन्या तो म्हारा के साला लागे सै


एक बै एक बटेऊ ससुराड़ चला गया . उडे चौक में उसकी बहु का
दादा लोटा था खाट पै , उसकी बहु भी उडे काम करती हांडे थी /
उसके भीतर बड़ते ही उसकी बहु ने शरमा कै मुह डक लिया /
यो देख कै उसके दादा ने भी चादर तै आपना मुह डक लिया .
एक पड़ोसी देखे था छत पर तै यो माज़रा . वो पड़ोसी बोल्या --
ताऊ बेबे नै तै ठीक पल्ला करा सै , पर तने क्यों यो मुह डक लिया /
बुड्डा बोल्या -- अरे जब म्हारी छोरी ऐ इसकी शक्ल देख कै राजी
कोन्या तो म्हारा के साला लागे सै

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