एक मंदिर के आगे घंटियाँ बज रही थी. फूल चढ़ाये जा रहे थे. धूप-बत्ती की जा रही थी. भजन कीर्तन चल रहा था. एक चौधरी पास से गुज़रा तो बोला—रै यूं के खाडा कर राख्या सै? जवाब मिला—आरती तारण लाघ रे सै. चौधरी लठ ठोक के चलते हुए बोला—तारणी ऐ थी तो चढाई क्यां खातर थी .
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khas log
Monday 23 April 2012
चढाई क्यां खातर थी ?
एक मंदिर के आगे घंटियाँ बज रही थी. फूल चढ़ाये जा रहे थे. धूप-बत्ती की जा रही थी. भजन कीर्तन चल रहा था. एक चौधरी पास से गुज़रा तो बोला—रै यूं के खाडा कर राख्या सै? जवाब मिला—आरती तारण लाघ रे सै. चौधरी लठ ठोक के चलते हुए बोला—तारणी ऐ थी तो चढाई क्यां खातर थी .
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