khas log

Tuesday 5 July 2011

नौजवान भाई ओ के लिए पेश है उनके मन की बात

देके हजार रपिये किराया जोश में रह्ल्यांगे
उसके दिल में ना रहे तो पडोस में रह्ल्यांगे
मिल्या करेगी निगाह फेर रोज़ आपस में
बात ना होवे ना सही खोमोश में रह्ल्यांगे
लिख  के रोज़ चिच्ठी उसके घर न फेकांगे
व जवाब नहीं देवेगी तो रोस में रह्ल्यांगे
होज्यागी रिश्तेदारी फेर गली के छोरया त
थारा   जीजा लागु सूं इस धोंस में रह्ल्यांगे
मैं फस्ग्या जिस दिन उसके लठधारी भाईया क
सच्चा प्यार करा सां बदनाम नहीं करांगे
जित चाहवे ब्याह कर लेगी हम लोस में रह्ल्यांगे
वा साबत डोसा खागी तो के जी लिकडग्या माहरा
वा राज़ी रहियो हम तो सोस में रह्ल्यांगे
घर के सारे सोढ़- सोढ़ीये दे देगा बेचैन उसने
जाड़े की भरी रात में भी ओंस में रह्ल्यांगे

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