पहली बार आया सूं कुछ बोल के जाऊंगा
कालजा चार भाईया का छोल के जाऊंगा
सीधी चोट मारूंगा सबते निचले घड़े कै
दबंगा की दमबाजी नै पपोल के जाऊंगा
शक्ल तै बावलीबूच दिखू सूं तो के होया
स्याणे लोगा की नब्ज़ टटोल के जाऊंगा
उम्र भर मात्राओ के बोझ तले दबे सै जो
मैं वजन उन शायरों का तोल के जाऊंगा
कदे सौ ग्राम भी दूध ना देते पड़ोसिया नै
झोटी उन ज़मींदारा की खोल के जाऊंगा
मीठे के बाद नमकीन खावनिया खातिर
मैं चासनी में लाल मिर्च घोल के जाऊंगा
वो मुद्दत कै बाद मिल्या सै अकेला बेचैन
आंसूआ तै मैल मन का खंगोल के जाऊंगा
2 comments:
बैचेन जी , बहुत मजा आया आज आपके ब्लॉग को पढकर, सच कहता हूँ
आपके जैसा लिखने का अंदाज बहुत कम देखने को मिलता है | एक से एक
उम्दा शेर और वो भी इतनी सरल भाषा में की हर कोई समझ जाये .
बहुत खूब
shukriya bhai
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